वैदिक संधà¥à¤¯à¤¾ का समय कà¥à¤¯à¤¾ हो?
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Vikas AryaDate
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07-Mar-2019Download PDF
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सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° संधà¥à¤¯à¤¾ और अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ - सायं दो ही काल में करें। दो ही रात दिन की सनà¥à¤§à¤¿à¤µà¥‡à¤²à¤¾ है, अनà¥à¤¯ नहीं। मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में लिखा है पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤² की संधà¥à¤¯à¤¾, गायतà¥à¤°à¥€ का जप करता हà¥à¤†, सूरà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ होने तक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होकर और सायंकाल की संधà¥à¤¯à¤¾ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° दरà¥à¤¶à¤¨ होने तक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होकर और सायंकाल की संधà¥à¤¯à¤¾ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° दरà¥à¤¶à¤¨ ठीक ठीक होने तक बैठकर करें पà¥à¤°à¤à¥ ने ओ३मॠनाम की फसल बोने का समय चैबीस घणà¥à¤Ÿà¥‡ में दो बार बनाया है।
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का उपासक मनà¥à¤·à¥à¤¯, रातà¥à¤°à¤¿ और दिवस के सनà¥à¤§à¤¿ समय में नितà¥à¤¯ उपासना करें, जो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ अपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का संयोग है। वही संधà¥à¤¯à¤¾ का काल जानना और उस समय में जो संधà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¸à¤¨à¤¾ की धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करनी होती है वही संधà¥à¤¯à¤¾ है सनà¥à¤§à¤¿ वेला का अरà¥à¤¥ है जब न दिन हो, न रात, देखो सूरज छिप गया है, यह संधà¥à¤¯à¤¾ का समय है। पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ पौ फट रही है उजाला आ गया है, सूरज अà¤à¥€ उदय नही हà¥à¤† है, तो न रात है और न दिन है यह à¤à¥€ संधà¥à¤¯à¤¾ का समय है। पà¥à¤°à¤à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की फसल बोने का, संधà¥à¤¯à¤¾ की फसल बोने की ये दोनों बेला ही उतà¥à¤¤à¤® ऋतॠहै।
मन को वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में लगा ओ३मॠनाम का बीज बो लो तà¤à¥€ फसल समय से पकेगी, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जीवन के अनà¥à¤¤ में मà¥à¤– से ओ३मॠनाम निकलेगा और जीवन सफल हो जायेगा।
मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤² की संधà¥à¤¯à¤¾ के जप से रातà¥à¤°à¤¿ à¤à¤° की और सायंकाल की संधà¥à¤¯à¤¾ से दिनà¤à¤° की दà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾à¤“ं का नाश होता है। महरà¥à¤·à¤¿ मनॠके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दिन à¤à¤° जो à¤à¥€ कà¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° मन में कà¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हों उनके संसà¥à¤•à¤¾à¤° को सायंकाल की संधà¥à¤¯à¤¾ के समय अचà¥à¤›à¥‡ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° धो डालो और इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से रातà¥à¤°à¤¿ के कà¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤² की संधà¥à¤¯à¤¾ से दूर कर दो। इसका अरà¥à¤¥ यह हà¥à¤† कि मनà¥à¤¸à¤¯ को अपने मन और इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ आदि की खोज करनी चाहिये कि उनमें आज के दिन व रातà¥à¤°à¤¿ में पाप का कहीं धबà¥à¤¬à¤¾ तो नहीं लग गया है और यदि कहीं à¤à¤¸à¤¾ कोई दोस दिखलाई दे तो उसे उसी समय धो डालें à¤à¤¸à¤¾ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ निरà¥à¤®à¤² होता है।
किनà¥à¤¤à¥ आज के à¤à¤¾à¤— दौड़ के जीवन में यदि कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ विशेष कारण से ऊपर लिखित नियत समयों पर संधà¥à¤¯à¤¾ न कर सके तो उसे जिस समय à¤à¥€ अवकाश हो और सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के à¤à¤®à¥‡à¤²à¥‹à¤‚ को परे फेंक कर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो सके, संधà¥à¤¯à¤¾ कर लेनी चाहिये। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि न करने से अचà¥à¤›à¤¾ ही है। सनà¥à¤§à¤¿à¤µà¥‡à¤²à¤¾ का समय अति रमणीय होने के कारण à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगने में सहायक है।
मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के आधार पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने लिखा है :
जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ और सायं संधà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨ नहीं करता उसको शà¥à¤¦à¥à¤° के समान समà¤à¤•à¤° दà¥à¤µà¤¿à¤œà¤•à¥à¤² से अलग करके शà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤² में रख देना चाहिये। वह सेवा करà¥à¤® किया करे और उसके विदà¥à¤¯à¤¾ का चिहà¥à¤¨ यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ à¤à¥€ न रहना चाहिà¤à¥¤ इससे सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उचित है कि सब कामों में इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® को मà¥à¤–à¥à¤¯ मानकर पूरà¥à¤µà¥‹à¤•à¥à¤¤ दो समयों जगदीशà¥à¤µà¤° की उपासना नितà¥à¤¯ किया करें।
कà¥à¤¯à¤¾ योग के आठअंगो की संगति संधà¥à¤¯à¤¾ में है?
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उतà¥à¤¤à¤° - हाठसंधà¥à¤¯à¤¾ में योग के आठअंगों की संगति है।
जैसे-
1. उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करना आचमन।
2. हम जीवन में सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, नीरोग व सबल बनें, अंग सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶, मारà¥à¤œà¤¨ मनà¥à¤¤à¥à¤°, शारीरिक व आतà¥à¤®à¤¿à¤• बल के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¥¤
3. जीवन में पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®à¥¤
4. मानसिक पापों की निवृति अघमरà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥¤
5. मन में दà¥à¤µà¥‡à¤· à¤à¤¾à¤µ की समापà¥à¤¤à¤¿ व ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठमनसा परिकà¥à¤°à¤®à¤¾à¥¤
6. मानस अहंकार व ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ अपसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥¤
7. ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¤°à¥à¤ªà¤£ करना व नमसà¥à¤•à¤¾à¤° मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥¤
अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤‚ग योग के आधार पर समाधि परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सिदà¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिये वैदिक संधà¥à¤¯à¤¾ की विधि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ की। इसकी साधना से कà¥à¤°à¤®à¤¶: मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ, आरà¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ, आरà¥à¤·à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ देवतà¥à¤µ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होकर मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। वैदिक संधà¥à¤¯à¤¾ ही अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤‚ग योग का कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• à¤à¤µà¤‚ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• रूप है, अतः यही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® का बोध कराने की सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ रखती है।
--विकास आरà¥à¤¯
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